"अभिव्यक्ति"(अनमोल मानस की प्रेरणा से)
"अभिव्यक्ति" |
विचारों की अभिव्यक्ति अपनी स्वतंत्रता रखती है। कहने को हम स्वतन्त्र हैं,वास्तविकता में हम धकियानुसी विचारों में जकड़े हुए परतंत्र हैं। विचार एक ऐसा माध्यम है,जो अनेक राष्ट्रों को उनकी स्वयं की स्वतंत्रता के लिए लड़ना सिखाया,राष्ट्र में विस्तारित वैमनस्यता का अंत ही परिचायक है,किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता का।
विचारों का इतिहास आदिकाल से चला आ रहा है ,अनेकों सभ्यतायें
जिसके स्वतंत्र अम्बर के नीचे फलीं-फूलीं,
एवं पल्लवित हुईं ,वरन जहाँ इसका हास् हुआ ,समूल सभ्यता ही विनाश की ओर अग्रसर हुईं ।
वर्तमान देशाटन में इसके विविध रूप देखने को मिलेंगे ,कभी गलत विचारों के रूप में, जो केवल स्वार्थपरक भावनाओं को ध्यान में रखकर सम्प्रेषित की गई हों ,जो समाज के उत्थान में नहीं अपितु हास् में निश्चय ही सार्थक सिद्ध हो रहीं हैं।
इनका अनुसरण हम क्यों कर रहें हैं? इस प्रश्न का उत्तर मेरे विचार से,हममें तार्किकता का आभाव भी प्रादुर्भाव से स्थान रखता है। हम किसी भी कहे गये अथवा सम्प्रेषित किये गए कथनों पर पूर्णरूप से प्रकाश नहीं डालते,संभव है हम उजाले से भयभीत हैं क्योंकि हमारा समग्र जीवन ही अंधकार का आदी बन चुका है ,मिथ्या हमारे जिह्वा की संगिनी है ,सत्यता से हम लोहा ले चुके हैं जो हमारा परम वैरी है और यह तो सारभौमिक सत्य ही है,शत्रु के कहे गये वक्तव्य सदैव ही निर्थक होतें हैं ,चाहे वह शत्रु हमारा हित ही क्यों न चाहता हो,तो भी वह एक शत्रु ही है। अतः हम अंधकार को ही अपना परम हितैषी मानतें हैं एवं तर्क-वितर्क के षड़यंत्र में जुड़ने से अच्छा,स्वतंत्रता के अंधकार में जीवित रहना स्वीकार करेंगे ,चाहे मानव सभ्यता का समूल नाश ही क्यों न हो जाये।
"अतः सारभौमिक सत्य 'अंधकार' बिना तर्क-वितर्क के ,विचारों का आदान-प्रदान है।
संभवतः विकसित विचारों के लिए संसार में स्थानों की लघुता प्रतीत होती है।"
"एकलव्य"
"एकलव्य की प्यारी रचनायें" एक ह्रदयस्पर्शी हिंदी कविताओं एवं विचारों का संग्रह |
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