आपका स्वागत है।

शुक्रवार, 10 मार्च 2017

"तूँ है एक अनुपम तस्वीर" 'नारी'


                                                    "तूँ है एक अनुपम तस्वीर" 'नारी' 
 चिरस्थाई जीवन वट "नारी" 



चिरस्थाई जीवन वट है 
शाखायें तेरी प्रबल धीर 
मानव मात्र की एक प्रेरणा 
बनकर खड़ी धरा अधीर,

संवेदनाओं में तेरी ममता 
छवि लक्षित तेरी गंभीर 
दया बनकर रग-रग में बसा है 
करती जीवन शुद्ध समीर,

धरा हुई है ,दुषित तुम बिन 
करे तूं निर्मल,मन के पीर 
चोट पे जैसे मरहम बनकर 
कष्ट हरे है ,पोंछे नीर,

नेत्र से तेरे अश्रु गिरतें 
वो भी लगतें,अमूल्य सीप 
जो पायें हैं,इनकों जग में 
बना है वो तो कौशल वीर,

मानव बना है आज स्वार्थी 
काटें हैं अपना ही मूल 
हरी-भरी धरती को बंज़र 
करता है जीवन प्रतिकूल,

तेरे त्याग को विस्मृत करके 
बने स्वयं उत्पत्ति का कर्ता 
समझ न इसको सत्य ज्ञान का 
प्रकृति की एक अदभुत रचना  

तूँ है एक अनुपम तस्वीर। .......तूँ है एक अनुपम तस्वीर।.......


                         "एकलव्य"
 "एकलव्य की प्यारी रचनायें" एक ह्रदयस्पर्शी हिंदी कविताओं एवं विचारों का संग्रह
 



         

कोई टिप्पणी नहीं: