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गुरुवार, 23 मार्च 2017

एक सलाम 'अमर शहीदों' के नाम


                                                      एक सलाम 'अमर शहीदों' के नाम 


उगते सूर्य की किरणों जैसा 
दृढ़ निश्चय सा था वो 
आसमान में उड़ता खग था 
पृथ्वी पर जन्मा था जो 

स्वर में भरा आज़ादी का जज़्बा 
निष्कलंक सा था वो 
नंगी पीठ प्रतीक्षा करतीं 
भयविहीन सा था जो 

लहु में बहतें स्वतंत्रता के कण 
स्वतंत्रता का प्रहरी था वो 
हृदय में बसता एक स्वप्न  
देशस्वप्न सा था जो  

विस्मृत करता देश आज है 
अविस्मरणीय व्यक्तित्व सा था वो 
नाम था जिसका 'भगत सिंह'
सिंह सदृश्य सा था वो 
सपूत देश का था जो ......... 

एक सलाम 'अमर शहीदों' के नाम 

"एकलव्य"   

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