"छोटी सी तितली" 'गीत' (पिता और पुत्री का रिश्ता)
''पिता और पुत्री का रिश्ता'' |
छोटी सी तितली बनकर है, उड़ती
मन के जहाँ में हमेशा
बनके हमेशा यूँ आशा की किरणें
देती है मन को सहारा।
छोटी सी तितली बनकर है, उड़ती
मन के जहाँ में हमेशा .......
दिल ये हुआ है,पागल यूँ मेरा
पाकर ये तेरा किनारा।
छोटी सी तितली बनकर है, उड़ती
मन के जहाँ में हमेशा .......
फिरता था मैं,यूँ पागल जो बनके
तूने है मुझको सँवारा।
दश्तक हमेशा मेरे अंजुमन में
करतीं हैं, तेरी ये बातें,
बातें ये तेरी,ख़ुदा सी लगें
ख़ुद के ख़ुदी को मैं भूला।
क़िस्मत मेरी तूने, किस पल लिखी !
मुझको ख़ुदा तूं बता दे ,
बख़्शी है तूने ,रहमत ये तेरी
बनके ख़ुदा-ए-हौशला,
छोटी सी तितली बनकर है, उड़ती
मन के जहाँ में हमेशा .......
"एकलव्य"
"एकलव्य की प्यारी रचनायें" एक ह्रदयस्पर्शी हिंदी कविताओं एवं विचारों का संग्रह |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें