" धुंधले तारे "
क़ुछ अनकहे ,कुछ कहते हैं
कुछ कहने की ,कोशिश है।
चन्द शब्द में सार छिपा है
ना कहने की रंजिश है।
लोगों के सजाए इस समाज में ,
कुछ करने की ख्वाहिश है।
फिक्र अगर है हाथ पकड़ लो
छोटी मेरी गुज़ारिश है।
माना हम सामान्य नहीं हैं
सामान्य सी दिखती दुनिया में।
हो अवसर ,तो दे दो हमको
पहचान तुम्हारी दुनिया में।
नाम तुम्हारी दुनिया में.. ...... .. .
" एकलव्य "
7 टिप्पणियां:
great going Dhruv. always love the theme. congratulations
It's very heart touching
Behtreen
tx dear
Excellent Dhruv.... Nicely presented.... Keep it up....
Very nice Dhruv
Very touching!
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