"धड़धड़ाती जिंदगी"
धड़धड़ाती जिंदगी ,बौख़लाती जिंदगी
ग़म के बादलों सी यूँ ,कश्मोकश में जिंदगी
दूर जाती जिंदगी ,पास आती जिंदगी
घूम -घूम बादलों सी ,लड़खड़ाती जिंदगी
मौत के समंदरों में ,फंसती जाती जिंदगी
स्वयं के ही हौंसलों से ,पार आती जिंदगी
होते साँझ डूबती ,ग्लासों में ये जिंदगी
नाव पर है तैरती ,प्रातः होते जिंदगी
कभी -कभी उदासियों में ,ग़ुम हुई सी जिंदगी
किल्कारियों पे बैठकर ,खिलखिलाती जिंदगी
रास्तों पे लेटकर ,भीख माँगे जिंदगी
हाँथ हैं अशक्त से ,फिर भी ख़ुश है जिंदगी
झूठ के दिखावों में ,मस्त है ये जिंदगी
बेरुख़ी में अपनों से ही ,पस्त है ये जिंदगी
जलती आग चूल्हे में ,बुझती हुई है जिंदगी
बुझती है ,तो बुझने दे ,फ़िर जलेगी जिंदगी
धड़धड़ाती जिंदगी ,बौख़लाती जिंदगी
जिंदगी ये जिंदगी
ये जिंदगी अज़ीब है
अज़ीब सी ये जिंदगी
"एकलव्य "
2 टिप्पणियां:
That's true life
Bahut khub likha hai .....Wah!
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