"सती की तरह"
मैं आज भी हूँ
सज रही
सती की तरह
ही मूक सी
मुख हैं बंधे मेरे
समाज की वर्जनाओं से
खंडित कर रहें
तर्क मेरे
वैज्ञानिकी सोच रखने वाले
अद्यतन सत्य ! भूत की वे
ज्योत रखने वाले
कभी -कभी हमें शब्दों से
आह्लादित करते
संज्ञा देकर देवी का
शर्त रहने तक
मूक बनूँ !
बना देते हैं
सती क्षणभर में
पीड़ा प्रस्फुटित होने पर
सारभौमिक यही सत्य !
मैं आज भी हूँ
सज रही
सती की तरह
"एकलव्य"
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