"बस एक काम चाहिए"
बस एक काम चाहिए
भूखे पेट को,आराम चाहिए
रहने को घर नहीं
ज़िंदगी में खुला,आसमान चाहिए ,
घर से निकलता हूँ रोज़
एक अरमान लेकर
जीवनभर की कमाई
चंद सामान लेकर,
मन में थोड़ा, पर
भरा विश्वास लेकर
हार चुका हूँ, पर
जीत का एहसास लेकर,
हर सुबह लेकर आती है
एक अधूरी सी प्यास
मिल जाएगी, चंद पैसों की नौकरी
पूरी होगी मन में जगी ,अधूरी सी आस,
आज फिर खड़ा हूँ
साक्षात्कार की लंबी-लंबी कतारों में
तौली जा रहीं,मेरी डिग्रीयां
रद्दी के बाज़ारों में.........
"एकलव्य"
"एकलव्य की प्यारी रचनायें " एक ह्रदयस्पर्शी हिंदी कविताओं का संग्रह |
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