गुरुवार, 26 जनवरी 2017

"भारतवर्ष की जय हो"


                                         

                                                      "भारतवर्ष  की जय हो"



जननायक ,अधिनायक ,भारतवर्ष  की जय हो
उड़ता हूँ मैं अम्बर होकर ,लेकर झंडा देश का प्यारा
गलियों -गलियों ,कूचे -कूचे ,हट जाओ ये देश हमारा।

त्याग बना है ,चिन्ह देश का
कहलाया भारत ये दानी
विश्वपटल पर मान बढ़ाया
धर्म निरपेक्ष हूँ ,कहकर बानी।
जननायक ,अधिनायक ,भारतवर्ष  की जय हो

स्वावलंबन प्रकृति ,जिसकी
समाहित शक्ति जिसमें है
बिना सहारों के चलने की
सत्य मार्ग पर इसकी है।
जननायक ,अधिनायक ,भारतवर्ष  की जय हो

आत्मसात करने की प्रवृति
हर बोली -भाषा ,रंग- भेद से निवृति
गरिमा तेरी ,जिसमें है।
 जननायक ,अधिनायक ,भारतवर्ष  की जय हो

माटी बना ,तिलक हो जिसका
लगे ललाट ,स्वर्ण बन जाये
छुए जो तू ,सौभाग्य है तेरा
जननायक ,अधिनायक ,भारतवर्ष  की जय हो

क्षमाशीलता ,जिसकी प्रकृति
बन जाए ,जो तेरी प्रवृति
जन -जन में जो ,प्राण जगाए
स्वमं है तू आभास दिलाए।
जननायक ,अधिनायक ,भारतवर्ष  की जय हो ........

                                                "एकलव्य "
                                                                     


छाया चित्र स्रोत: https://pixabay.com

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