गुरुवार, 26 जनवरी 2017

"भारतवासी होने का गौरव "

                             


                                                         "भारतवासी होने का गौरव"


कौतूहल करती स्वतंत्रता की  लहरें ,आज ठंडी पड़ गयीं
क्रांतिकारी विचारधारा ,खाईयों में मिल गयीं

गर्जना पाले हैं मन में ,आज उनको फ़ूक दे
सोई हुई संवेदनाओं को ,एक नया तूं रूप दे ,

कर तूं रचना उस समाज का ,क्षणभर अहम् को त्याग दे
महाभारत रण बना है देश ,नाम तूं अपना व्यास दे ,

धर्म -अधर्म का युद्ध छिड़ा ,तूं धर्म का साथ दे।

स्मरण तुझे जो क्षणभर भी हो ,ह्रदय में उठती चिंगारी
प्रज्वलित कर दे घर -घर दीपक ,जन को सत्य का मार्ग दे ,

अँधेरा गरजे है नभ में ,बिजली बनकर राग दे
काले मेघ भी तरसेंगे ,कोमल -प्रबल प्रवाह दे ,

मानव -मानव घृणा करें हैं ,बंधुत्व एकता जाप दे
जात -पात की मानव रचना ,नवल रचना इंसान दे
ना हो देश में कोई दंगे ,थाप लगा तूं प्रेम की
भारतवासी  होने का गौरव ,जन को तूं  आभास दे।  .........



                              "एकलव्य"  


 छाया चित्र स्रोत: https://pixabay.com                                      
                                                                

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