"डर लगता है आज भी"
डर लगता है फिर वही,आँखें मूंदने से
सपनें देखने से
उनके टूटने से
अश्क गिरने से
अरमान बहने से
दरिया बनने से
दूर कहीं एक पंक्षी का घोंसला
टूटकर बिखरने से
सपने चूर-चूर होने से
मन के अधीर होने से
मौसम ग़मगीन होने से
बादलों के गरजने से
बिजलियों के चमकने से
रास्तों के उजड़ने से
पैरों के थकने से
थक कर रुकने से
रुक कर सोचने से
सोचकर रोने से
रोकर खोने से
खोकर पाने से
पाकर सोने से
सपनें संजोने से
फिर से बेफ़िक्र होने से
मंज़िल ओझल होने से
फिर मन के बेचैन होने से
होकर रास्ते ढूंढने से
मिलकर साथ चलने से
साथ छूटने से,
डर लगता है आज भी।........डर लगता है आज भी।........
"एकलव्य"
छाया चित्र स्रोत :https://pixabay.com/
"डर लगता है आज भी" |
डर लगता है फिर वही,आँखें मूंदने से
सपनें देखने से
उनके टूटने से
अश्क गिरने से
अरमान बहने से
दरिया बनने से
दूर कहीं एक पंक्षी का घोंसला
टूटकर बिखरने से
सपने चूर-चूर होने से
मन के अधीर होने से
मौसम ग़मगीन होने से
बादलों के गरजने से
बिजलियों के चमकने से
रास्तों के उजड़ने से
पैरों के थकने से
थक कर रुकने से
रुक कर सोचने से
सोचकर रोने से
रोकर खोने से
खोकर पाने से
पाकर सोने से
सपनें संजोने से
फिर से बेफ़िक्र होने से
मंज़िल ओझल होने से
फिर मन के बेचैन होने से
होकर रास्ते ढूंढने से
मिलकर साथ चलने से
साथ छूटने से,
डर लगता है आज भी।........डर लगता है आज भी।........
"एकलव्य"
"एकलव्य की प्यारी रचनायें" एक ह्रदयस्पर्शी हिंदी कविताओं एवं विचारों का संग्रह |
छाया चित्र स्रोत :https://pixabay.com/
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