मंगलवार, 21 मार्च 2017

"आओ प्यारे"

                                       

                                                     "आओ प्यारे" 
प्यारी कविता 'देश' के नाम 


रहने दो!
मंदिर,मस्ज़िद ,गुरुद्वारे 
बात करो,इंसान की प्यारे 
मत बाँटो,हमें पृथक धर्म में 
नष्ट करो! बस द्वेष हमारे 

अच्छे लगतें, घण्टें मंदिर के 
अज़ान, कर्णप्रिय लगता है 
क्या होली,क्या ईद देश में 
प्रेम  प्रबल जल बहता है

भाँति-भाँति के फूल खिलें हैं 
उत्तर से दक्षिण में सारे 
ना रोको तुम,धार प्रेम की
बननें दो! यूँ हृदय हमारे

प्रथम नागरिक,भारत का मैं 
जाति-धर्म सब पीछे हैं 
देश महान,बस बने हमारा 
रहने दो !सौहार्द हमारे

दूर करो ! समीकरण धर्म का 
इंसान का पाठ पढ़ाओ प्यारे
गणित का खेल,बड़ा पेचीदा 
मानव कला, सिखाओ प्यारे

देश जो लगता अलग-थलग सा 
मिलकर एक बनाओ प्यारे 
बची रहे,अस्मिता देश की 
प्रहरी बन,जान लड़ाओ प्यारे  
   
सूरज प्रगति का लाओ प्यारे 
एक बनें हम,आओ प्यारे 
स्वर्णकाल तुम, लाओ प्यारे 
प्रेम गीत सब, गाओ प्यारे। ....


'जय भारत' 


                                 "एकलव्य"
 प्यारी कविता 'देश' के नाम

छाया चित्र स्रोत: https://pixabay.com
           

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